SBI से बैंकों का कर्ज लिंक होने पर आपको होगा क्या फायदा

SBI से बैंकों का कर्ज लिंक होने पर आपको होगा क्या फायदा

नमस्कार दोस्तों – आज हम आपको भारतीय रिजर्ब बैंक के बारे में बताते है हेल्लो फ्रेंड मेरा नाम मोनिका शुक्ला है

आपको  भारतीय स्टेट बैंक (SBI) पहला बैंक बना जिसने अपने लोन को रेपो रेट से जोड़ा.

इसकी देखादेखी बैंक ऑफ बड़ौदा और यूनियन बैंक ने भी ऐसा किया. सवाल यह है कि आम लोगों का इससे क्या

लेनादेना है? बैंकों के इस कदम का उन पर क्या असर पड़ेगा? आइए, यहां इन सवालों के जवाब जानते हैं.

1 – एमसीएलआर क्या है

तो दोस्तों एमसीएलआर क्या है एमसीएलआर इंटरनल बेंचमार्क है जो कई बातों पर निर्भर करता है. इनमें फिक्स्ड

डिपॉजिट की दरें, फंडों का स्रोत और बचत की दरें शामिल हैं. लोन के मूल्य में एमसीएलआर और बैंक का

प्रॉफिट मार्जिन शामिल होता है.

एमसीएलआर  में आपने खूभी  क्या देखी 

पॉलिसी दरों में बदलाव का फायदा बैंक ग्राहकों को तेजी से पहुंचाएं, इस मंशा से एमसीएलआर की व्यवस्था

अपनाई गई थी.लेकिन, इसके अपेक्षित नतीजे नहीं मिले.

जहां आरबीआई ने रेपो रेट को फरवरी से अब तक 1.10 फीसदी घटाया है.

10 साल की बेंचमार्क यील्ड 1.02 फीसदी घटी है. वहीं बैंकों ने ब्याज दरों में 0.29 फीसदी की कमी की है.

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2 क्या आरबीआई इसे औपचारिक बनाएगा

वैसे तो आरबीआई ने इन बैंकों को नियम का पालन करने का कोई खास निर्देश नही दिया है

पर गर्वनर शक्तिकान्त दास ने स्कीम पर अमल करने की इच्छा जताई है हाल में उन्होंने कहा की टाइम आ गया है

जब सभी बैंकों को ब्याज और जमा की दरे रेपो रेट से जोड़ देनी चाहिए इससे रेपो रेट में का फ़ायदा

ग्राहकों को जल्द मिल सकता है

और इसपर केन्द्रीय बैंक नजर रखती है इसके लिए जरुरी कदम भी उठाये जाते है

अब आपको इसके फायदे की बात बताते है

क्या होगा न्यू व्यवस्था का फायदा 

उम्मीद है कि इससे रेपो रेट में कटौती का फायदा ग्राहकों को तेजी से पहुंचेगा. नई व्यवस्था से सिस्टम ज्यादा पारदर्शी

बनेगा.कारण है कि हर लेनदार को ब्याज दर के बारे में पता होगा. बैंक क्या मुनाफा ले रहे हैं,

इसकी भी उन्हें जानकारी होगी. ग्राहक अलग-अलग बैंकों के लोन की ब्याज दरों की तुलना ज्यादा बेहतर तरीके से कर पाएंगे.

इन चार वजहों से थी ब्याज दरों में कटौती के आसार

1. कई कोशिशों के बाद भी उद्योगों की वृद्धि में  रफ्तार नहीं पकड़ पा रही है। जून में आठ कोर सेक्टर

की वृद्धि घटकर 0.2% पर रही।

2. वाहन उद्योग क्षेत्र में मंदी का रुख बरकरार है। प्रमुख वाहन कंपनियों की बिक्री में जुलाई में दहाई

अंक की गिरावट दर्ज की गई।

3. सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वैश्विक रैंकिंग में भारतीय अर्थव्यवस्था फिसलकर सातवें स्थान पर आ गई है

4. रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए रियल एस्टेट और वाहन उद्योग को गति देना जरूरी है।

सस्ते कर्ज से ये सेक्टर पटरी पर लौट आएंगे।

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